जैव विविधता (Biodiversity) का अर्थ है पृथ्वी पर पाए जाने वाले सभी जीवित प्राणियों की विविधता। इसमें पौधे, जानवर, सूक्ष्मजीव, और उनके पारिस्थितिक तंत्र शामिल होते हैं। जैव विविधता न केवल पर्यावरण को संतुलित बनाए रखने में मदद करती है, बल्कि यह हमें भोजन, दवाइयां, और अन्य आवश्यक सामग्री भी प्रदान करती है।

BSEB class 8th science chapter 12 Notes “पौधों एवं जन्तुओं का संरक्षण” विषय पर विशेष जोर दिया गया है। इस लेख में, हम जैव विविधता के महत्व, उसके खतरों, और संरक्षण के उपायों पर विस्तृत चर्चा करेंगे।
पौधों एवं जन्तुओं का संरक्षण : (जैव विविधता) BSEB class 8th science chapter 12 Notes
जैव विविधता का महत्व
- पर्यावरणीय संतुलन: जैव विविधता पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। विभिन्न जीव जंतु और पौधे एक दूसरे के साथ परस्पर क्रिया करते हैं, जिससे पारिस्थितिक तंत्र (Ecosystem) का संतुलन बना रहता है। उदाहरण के लिए, पौधे ऑक्सीजन प्रदान करते हैं और कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं, जबकि जानवर पौधों के बीजों को फैलाने में मदद करते हैं।
- आहार स्रोत: मनुष्य और अन्य जीवित प्राणियों के लिए भोजन के मुख्य स्रोत पौधे और जानवर हैं। जैव विविधता की विविधता हमें विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ प्रदान करती है, जिससे हमारी पोषण संबंधी आवश्यकताएं पूरी होती हैं।
- औषधीय उपयोग: पौधे और जानवर दवाइयों का एक महत्वपूर्ण स्रोत हैं। कई महत्वपूर्ण औषधियां, जैसे कि पेनिसिलिन, क्विनिन, और एस्पिरिन, पौधों और सूक्ष्मजीवों से प्राप्त होती हैं। जैव विविधता की कमी से इन महत्वपूर्ण औषधियों की उपलब्धता में कमी आ सकती है।
- आर्थिक महत्व: जैव विविधता विभिन्न उद्योगों, जैसे कि कृषि, मत्स्य पालन, और पर्यटन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह न केवल स्थानीय समुदायों के लिए रोजगार के अवसर प्रदान करती है, बल्कि राष्ट्रीय और वैश्विक अर्थव्यवस्था में भी योगदान करती है।
जैव विविधता को खतरे
- विनाशकारी मानव गतिविधियां: मानवीय गतिविधियां जैसे कि वनों की कटाई, अंधाधुंध शिकार, और प्रदूषण जैव विविधता को गंभीर खतरा पहुंचा रही हैं। वनों की कटाई से वन्यजीवों के प्राकृतिक आवास नष्ट हो जाते हैं, जिससे उनकी जनसंख्या में कमी आ जाती है।
- जलवायु परिवर्तन: जलवायु परिवर्तन से तापमान में वृद्धि हो रही है, जो पौधों और जानवरों के लिए प्रतिकूल परिस्थितियों का निर्माण कर रही है। कई प्रजातियां अपनी प्राकृतिक सीमा से बाहर निकल रही हैं, जबकि अन्य विलुप्ति के कगार पर हैं।
- आक्रामक प्रजातियों का प्रसार: आक्रामक प्रजातियां (Invasive Species) स्थानीय पारिस्थितिक तंत्र को नष्ट कर सकती हैं। ये प्रजातियां अन्य प्रजातियों के लिए भोजन, आवास, और अन्य संसाधनों के लिए प्रतिस्पर्धा करती हैं, जिससे स्थानीय जैव विविधता प्रभावित होती है।
- प्राकृतिक आपदाएं: प्राकृतिक आपदाएं, जैसे कि जंगल की आग, बाढ़, और सूखा, जैव विविधता को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती हैं। ये आपदाएं पौधों और जानवरों के आवासों को नष्ट कर सकती हैं, जिससे उनकी जनसंख्या में कमी आ जाती है।
जैव विविधता के संरक्षण के उपाय
- वन्यजीव अभ्यारण्य और राष्ट्रीय उद्यान: वन्यजीवों और उनके प्राकृतिक आवासों के संरक्षण के लिए वन्यजीव अभ्यारण्य और राष्ट्रीय उद्यान स्थापित किए गए हैं। ये क्षेत्र पौधों और जानवरों को सुरक्षित आवास प्रदान करते हैं और उन्हें मानवीय हस्तक्षेप से बचाते हैं। भारत में काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान, जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान, और रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान जैसे कई महत्वपूर्ण अभ्यारण्य हैं।
- वृक्षारोपण और पुनर्वनीकरण: वृक्षारोपण और पुनर्वनीकरण (Reforestation) कार्यक्रमों के माध्यम से वन क्षेत्रों को बहाल किया जा सकता है। यह न केवल पर्यावरणीय संतुलन को बहाल करने में मदद करता है, बल्कि वन्यजीवों को आवास भी प्रदान करता है। वृक्षारोपण से मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
- प्राकृतिक आवासों की सुरक्षा: प्राकृतिक आवासों की सुरक्षा जैव विविधता के संरक्षण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके लिए आवश्यक है कि वनों की कटाई, भूमि परिवर्तन, और अन्य मानवीय गतिविधियों पर नियंत्रण रखा जाए। इसके अलावा, संवेदनशील पारिस्थितिक तंत्र, जैसे कि वेटलैंड्स, मंग्रोव, और प्रवाल भित्तियां, की सुरक्षा के लिए विशेष प्रयास किए जाने चाहिए।
- शिक्षा और जागरूकता: जैव विविधता के संरक्षण के लिए शिक्षा और जागरूकता बढ़ाने के प्रयास अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। लोगों को जैव विविधता के महत्व, उसके खतरों, और संरक्षण के उपायों के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए। इसके लिए स्कूलों, कॉलेजों, और सामुदायिक संगठनों के माध्यम से विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जा सकते हैं।
- स्थानीय समुदायों की भागीदारी: जैव विविधता के संरक्षण में स्थानीय समुदायों की भागीदारी महत्वपूर्ण है। उन्हें संरक्षण के प्रयासों में शामिल करने से उनके जीवनयापन के साधनों में सुधार हो सकता है, साथ ही वे प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण में अधिक योगदान दे सकते हैं।
- कानूनी उपाय: जैव विविधता की सुरक्षा के लिए विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कानून बनाए गए हैं। भारत में, वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 और जैव विविधता अधिनियम, 2002 जैव विविधता के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण कानूनी प्रावधान प्रदान करते हैं। इसके अलावा, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर, जैव विविधता सम्मेलन (Convention on Biological Diversity) जैसे समझौते भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- अनुसंधान और निगरानी: जैव विविधता के संरक्षण के लिए अनुसंधान और निगरानी अत्यंत आवश्यक है। इससे हमें प्रजातियों की स्थिति, उनके आवास, और उन पर होने वाले खतरों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है। इस जानकारी के आधार पर संरक्षण के लिए उचित रणनीतियां बनाई जा सकती हैं।
निष्कर्ष
पौधों और जन्तुओं का संरक्षण हमारे पारिस्थितिक तंत्र के संतुलन, आर्थिक लाभ, और सांस्कृतिक महत्व के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। जैव विविधता हमें विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ, औषधियां, और अन्य आवश्यक सामग्रियां प्रदान करती है। इसके अलावा, यह पारिस्थितिक तंत्र को स्थिर बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हालांकि, मानवीय गतिविधियों, जलवायु परिवर्तन, और अन्य कारकों के कारण जैव विविधता गंभीर खतरे में है।
पौधों एवं जन्तुओं का संरक्षण : (जैव विविधता) BSEB class 8th science chapter 12 Notes” विषय पर चर्चा करते हुए, विद्यार्थियों को जैव विविधता के महत्व, उसके खतरों, और संरक्षण के उपायों के बारे में समझाया गया है। इस लेख में, हमने जैव विविधता के महत्व, उसके खतरों, और संरक्षण के उपायों पर विस्तार से चर्चा की है। इसके अलावा, हमने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उठाए गए संरक्षण के प्रयासों के बारे में भी जानकारी प्रदान की है। जैव विविधता के संरक्षण के लिए हमें सामूहिक प्रयास करने की आवश्यकता है, ताकि आने वाली पीढ़ियों को भी इसका लाभ मिल सके।
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