भारतीय कृषि – Bihar board class 8th hamari duniya chapter 2 notes

भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहाँ की अधिकांश जनसंख्या कृषि पर निर्भर है। कृषि न केवल खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करती है, बल्कि यह देश की आर्थिक व्यवस्था में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस लेख में, हम बिहार बोर्ड कक्षा 8 के सामाजिक विज्ञान के अध्याय 2 ‘भारतीय कृषि’ के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करेंगे।

Bihar board class 8th hamari duniya chapter 2 notes

इस लेख में, हमने बिहार बोर्ड कक्षा 8 के सामाजिक विज्ञान के अध्याय 2 ‘भारतीय कृषि’ के विभिन्न पहलुओं के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त की। हमें उम्मीद है कि यह जानकारी आपके अध्ययन और समझ को बेहतर बनाने में मदद करेगी।

भारतीय कृषि – Bihar board class 8th hamari duniya chapter 2 notes

भारतीय कृषि का इतिहास:- भारत में कृषि का इतिहास अत्यंत पुराना और समृद्ध है। यह सिंधु घाटी सभ्यता से प्रारंभ हुआ और विभिन्न साम्राज्यों और संस्कृतियों के साथ विकसित होता गया। कृषि का विकास निम्नलिखित कालों में विभाजित किया जा सकता है:

  • प्राचीन काल
  • मध्य काल
  • आधुनिक काल

प्राचीन काल:- प्राचीन काल में भारतीय कृषि सिंधु घाटी सभ्यता (लगभग 2500 ई.पू. – 1750 ई.पू.) में प्रारंभ हुई। यहाँ के लोग धान, गेहूँ, और जौ की खेती करते थे। सिंचाई के लिए नदियों का उपयोग किया जाता था।

मध्य काल:- मध्य काल में कृषि का विस्तार हुआ। इस समय नए फसलों का आगमन हुआ जैसे चावल, गन्ना, और कपास। सिंचाई के लिए नहरों और कुओं का उपयोग बढ़ा। मुगल काल में कृषि का सुनियोजित विकास हुआ और नए कृषि तकनीकों का उपयोग किया गया।

आधुनिक काल:- आधुनिक काल में ब्रिटिश शासन के दौरान भारतीय कृषि में महत्वपूर्ण बदलाव आए। खेती के लिए नई तकनीकों और उपकरणों का उपयोग शुरू हुआ। स्वतंत्रता के बाद, भारत सरकार ने कृषि के विकास के लिए कई योजनाएँ और नीतियाँ बनाई।

भारतीय कृषि के प्रकार:- भारतीय कृषि को विभिन्न प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है:

  • खाद्य फसलें
  • नगदी फसलें
  • रेशेदार फसलें
  • तिलहन फसलें

खाद्य फसलें:- खाद्य फसलें वे फसलें हैं जो मुख्यतः खाद्य सामग्री के रूप में उपयोग होती हैं। इनमें शामिल हैं:

  • धान: भारत में धान की खेती मुख्यतः मानसून के मौसम में की जाती है। यह देश की प्रमुख खाद्य फसल है।
  • गेहूँ: यह रबी की फसल है, जो मुख्यतः सर्दियों में उगाई जाती है।
  • ज्वार: यह सूखे क्षेत्रों में उगाई जाने वाली फसल है।
  • मक्का: यह एक प्रमुख खाद्य फसल है, जिसे विभिन्न प्रकार के भोजन में उपयोग किया जाता है।

नगदी फसलें:- नगदी फसलें वे फसलें हैं जिनका उत्पादन मुख्यतः व्यापार और उद्योग के लिए किया जाता है। इनमें शामिल हैं:

  • गन्ना: यह चीनी और गुड़ बनाने के लिए उगाई जाती है।
  • कपास: यह वस्त्र उद्योग के लिए महत्वपूर्ण फसल है।
  • चाय: यह भारत की प्रमुख नगदी फसल है, जिसका उत्पादन असम, पश्चिम बंगाल, और दक्षिण भारत में होता है।
  • काफी: यह मुख्यतः कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु में उगाई जाती है।

रेशेदार फसलें:- रेशेदार फसलें वे फसलें हैं जिनका उपयोग विभिन्न प्रकार के रेशों के उत्पादन के लिए किया जाता है। इनमें शामिल हैं:

  • जूट: यह पूर्वी भारत में उगाई जाने वाली प्रमुख रेशेदार फसल है।
  • कपास: यह न केवल नगदी फसल है, बल्कि रेशेदार फसल भी है।

तिलहन फसलें:- तिलहन फसलें वे फसलें हैं जिनका उत्पादन तेल निकालने के लिए किया जाता है। इनमें शामिल हैं:

  • सरसों: यह रबी की फसल है, जिससे तेल निकाला जाता है।
  • सोयाबीन: यह खाद्य तेल के उत्पादन के लिए उगाई जाती है।
  • तिल: यह प्रमुख तिलहन फसल है, जिसका उपयोग खाद्य और औद्योगिक उद्देश्यों के लिए किया जाता है।

भारतीय कृषि की समस्याएँ:- भारतीय कृषि को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जिनमें शामिल हैं:

  • सिंचाई की कमी: भारतीय कृषि का प्रमुख भाग मानसून पर निर्भर है, जिससे सूखे और बाढ़ जैसी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।
  • छोटे और सीमांत किसान: भारत में अधिकांश किसान छोटे और सीमांत किसान हैं, जिनके पास पर्याप्त संसाधन नहीं होते।
  • प्रौद्योगिकी की कमी: आधुनिक तकनीकों और उपकरणों का अभाव भारतीय कृषि को प्रभावित करता है।
  • बाजार की समस्याएँ: किसानों को अपनी उपज का उचित मूल्य नहीं मिल पाता, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति प्रभावित होती है।
  • जलवायु परिवर्तन: बदलती जलवायु से कृषि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, जिससे फसल उत्पादन में कमी आती है।

भारतीय कृषि के विकास के उपाय:- भारतीय कृषि के विकास के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:

  • सिंचाई प्रणाली का विकास: सिंचाई के लिए नहरों, ट्यूबवेल्स, और ड्रिप सिंचाई प्रणाली का विकास किया जाना चाहिए।
  • आधुनिक प्रौद्योगिकी का उपयोग: खेती के लिए आधुनिक तकनीकों और उपकरणों का उपयोग किया जाना चाहिए।
  • किसान शिक्षा और प्रशिक्षण: किसानों को नई तकनीकों और खेती के तरीकों के बारे में शिक्षा और प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।
  • कृषि ऋण और बीमा: किसानों को सस्ते ऋण और बीमा सुविधाएँ उपलब्ध कराई जानी चाहिए।
  • बाजार व्यवस्था का सुधार: किसानों को अपनी उपज का उचित मूल्य दिलाने के लिए बाजार व्यवस्था में सुधार किया जाना चाहिए।

सरकार की कृषि नीतियाँ:- भारतीय सरकार ने कृषि के विकास के लिए कई नीतियाँ और योजनाएँ बनाई हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • हरित क्रांति: 1960 के दशक में शुरू हुई इस योजना का उद्देश्य उच्च उत्पादकता वाली फसलों के उत्पादन को बढ़ावा देना था।
  • कृषि ऋण योजना: किसानों को सस्ते ऋण उपलब्ध कराने के लिए विभिन्न योजनाएँ बनाई गई हैं।
  • प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना: इस योजना के तहत किसानों को फसल बीमा सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाती हैं।
  • मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना: इस योजना के तहत किसानों को उनकी भूमि की मृदा स्वास्थ्य के बारे में जानकारी प्रदान की जाती है।

भारतीय कृषि में नवाचार:- भारतीय कृषि में नवाचार के कई उदाहरण हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • जैविक खेती: रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के बिना की जाने वाली खेती।
  • उन्नत बीज: उच्च उत्पादकता वाले बीजों का उपयोग।
  • सटीक कृषि: आधुनिक तकनीकों और डेटा विश्लेषण का उपयोग करके खेती करना।
  • स्मार्ट कृषि यंत्र: सटीकता और प्रभावीता को बढ़ाने के लिए स्मार्ट यंत्रों का उपयोग।

भारतीय कृषि में सहकारी आंदोलन:- सहकारी आंदोलन भारतीय कृषि के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके तहत किसानों को संगठित किया जाता है और उन्हें विभिन्न सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाती हैं, जैसे कि सस्ते ऋण, उर्वरक, बीज, और विपणन सुविधाएँ। सहकारी आंदोलन का उद्देश्य किसानों की आर्थिक स्थिति को सुधारना और उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है।

निष्कर्ष

भारतीय कृषि हमारे देश की रीढ़ है और यह हमारी अर्थव्यवस्था और समाज के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। कृषि के विकास के लिए सरकार और समाज दोनों को मिलकर प्रयास करने की आवश्यकता है। आधुनिक तकनीकों, सरकारी नीतियों, और किसानों की मेहनत के माध्यम से भारतीय कृषि को और भी उन्नत बनाया जा सकता है।

इस लेख में, हमने बिहार बोर्ड कक्षा 8 के सामाजिक विज्ञान के अध्याय 2 ‘भारतीय कृषि’ के विभिन्न पहलुओं के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त की। हमें उम्मीद है कि यह जानकारी आपके अध्ययन और समझ को बेहतर बनाने में मदद करेगी।

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