कला क्षेत्र में परिवर्तन – Bihar board class 8 social science history chapter 11 notes

कला मानव सभ्यता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रही है, जो समाज की सांस्कृतिक, धार्मिक और ऐतिहासिक धरोहर को सजीव रखती है। समय के साथ कला में अनेक परिवर्तन हुए हैं, जिन्होंने समाज को एक नई दिशा और दृष्टिकोण दिया है। Bihar board class 8 social science history chapter 11 notes में इस बात पर गहराई से विचार किया गया है

कि कैसे कला ने विभिन्न कालखंडों में अपना स्वरूप बदला और कैसे इन परिवर्तनों ने समाज को प्रभावित किया। इस लेख में हम कला के विकास और उसमें आए परिवर्तनों का विस्तार से विश्लेषण करेंगे।

Bihar board class 8 social science history chapter 11 notes

यह लेख “Bihar board class 8 social science history chapter 11 notes” पर आधारित है और छात्रों को इस विषय को गहराई से समझने में मदद करेगा। लेख में कला के विभिन्न रूपों, उनके इतिहास, और समाज में उनके प्रभाव का विस्तार से वर्णन किया गया है।

Bihar board class 8 social science history chapter 11 notes – कला क्षेत्र में परिवर्तन

आज के युग में कला केवल मनोरंजन या धार्मिक उद्देश्य तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज में जागरूकता फैलाने और परिवर्तन लाने का एक सशक्त माध्यम बन चुकी है। कला समाज का दर्पण है, जो उसके विचारों, भावनाओं, और संघर्षों को प्रतिबिंबित करती है।

कला का प्रारंभिक स्वरूप

  • भारत में कला का इतिहास अत्यंत प्राचीन है। आरंभिक काल में कला का प्रमुख उद्देश्य धार्मिक और आध्यात्मिक था। आदिमानव की गुफाओं में पाई गई चित्रकला इसके प्रारंभिक प्रमाण हैं।
  • इनमें शिकार, दैनिक जीवन और प्रकृति के चित्रण देखे जा सकते हैं। यह चित्रकला प्रारंभिक समाज की जीवनशैली और उनके विश्वासों का प्रतिबिंब थी।

हड़प्पा सभ्यता की कला

  • हड़प्पा सभ्यता, जिसे सिंधु घाटी सभ्यता भी कहा जाता है, में कला का अत्यंत उन्नत स्वरूप देखा गया। इस काल की मूर्तिकला, सील, बर्तन और आभूषणों में उच्च कोटि की कलात्मकता दिखाई देती है।
  • मोहनजोदड़ो और हड़प्पा से प्राप्त नृत्य करती बालिका की कांस्य मूर्ति और पत्थर की मूर्तियाँ इस कला की उत्कृष्टता को दर्शाती हैं। इस काल में वास्तुकला का भी विकास हुआ, जिसमें नगरीय नियोजन और भवन निर्माण की उच्च तकनीकें शामिल थीं।

वैदिक काल की कला:-

  • वैदिक काल में कला का मुख्य रूप धार्मिक अनुष्ठानों और यज्ञों से संबंधित था। इस काल में मूर्तिकला और चित्रकला की अपेक्षा वैदिक साहित्य और संगीत का अधिक विकास हुआ। वेदों में संगीत और नृत्य का उल्लेख मिलता है,
  • जो धार्मिक अनुष्ठानों का हिस्सा थे। इसके अलावा, इस काल में वास्तुकला का भी विकास हुआ, जिसमें यज्ञशालाओं और मंदिरों का निर्माण शामिल था।

मौर्य काल की कला:-

  • मौर्य काल में कला के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन देखा गया। इस काल में शासकों ने कला को अपने राजनीतिक और धार्मिक उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया। अशोक के शिलालेख, स्तूप और पिलर इस काल की कला के प्रमुख उदाहरण हैं।
  • अशोक स्तंभ, जो अब भारत का राष्ट्रीय प्रतीक है, मौर्य काल की उत्कृष्ट कला का उदाहरण है। इस काल की कला में बौद्ध धर्म का प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।

गुप्त काल की कला:

  • गुप्त काल को भारतीय कला का स्वर्णिम युग माना जाता है। इस काल में कला के विभिन्न रूपों – मूर्तिकला, चित्रकला, वास्तुकला और साहित्य का उत्कर्ष हुआ।
  • अजन्ता और एलोरा की गुफाओं में इस काल की चित्रकला और मूर्तिकला के अद्वितीय नमूने देखे जा सकते हैं। इस काल में बौद्ध, जैन और हिंदू धर्म से संबंधित कलात्मक गतिविधियों का समृद्ध विकास हुआ।

मध्यकालीन भारतीय कला:-

  • मध्यकालीन भारत में कला का स्वरूप बदल गया। इस काल में भारतीय कला पर इस्लामिक प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। मुगल काल में चित्रकला, वास्तुकला और संगीत का व्यापक विकास हुआ।
  • ताजमहल, कुतुब मीनार, और लाल किला इस काल की वास्तुकला की उत्कृष्ट कृतियाँ हैं। मुगल चित्रकला में पारसी और भारतीय कला का मेल देखा जा सकता है।

आधुनिक भारत में कला का विकास:-

  • औपनिवेशिक काल में भारत की कला और संस्कृति पर पश्चिमी प्रभाव पड़ा। ब्रिटिश शासन के दौरान कला में नए प्रयोग और तकनीकों का प्रवेश हुआ। कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता) और बॉम्बे (वर्तमान मुंबई) जैसे शहरों में कला विद्यालयों की स्थापना हुई,
  • जहाँ पश्चिमी कला की शिक्षा दी जाने लगी। इस काल में राजा रवि वर्मा जैसे कलाकारों ने भारतीय और पश्चिमी कला का सम्मिलन किया और अपनी कला के माध्यम से एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत किया।

स्वतंत्रता के बाद भारतीय कला में परिवर्तन:-

  • स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारतीय कला ने एक नई दिशा पकड़ी। इस समय कलाकारों ने अपनी कला के माध्यम से सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों को उजागर किया। इस काल में कला का उद्देश्य समाज में जागरूकता फैलाना और नई राष्ट्रीय पहचान को स्थापित करना था।
  • चित्रकला, मूर्तिकला, वास्तुकला और सिनेमा में नए प्रयोग हुए। कला का क्षेत्र अब केवल धार्मिक और शासकीय उद्देश्यों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह समाज की आवाज बनने लगी।

समकालीन भारतीय कला:-

  • समकालीन भारत में कला के क्षेत्र में कई परिवर्तन हुए हैं। आज कला के विविध रूप – चित्रकला, मूर्तिकला, सिनेमा, फोटोग्राफी, और डिजिटल आर्ट – ने समाज में अपनी पहचान बनाई है।
  • कलाकार अब अपनी कला के माध्यम से व्यक्तिगत विचारों, भावनाओं और सामाजिक मुद्दों को व्यक्त कर रहे हैं। कला अब केवल अभिजात वर्ग तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आम जनजीवन का हिस्सा बन गई है।

डिजिटल युग में कला:-

  • डिजिटल युग ने कला के क्षेत्र में एक क्रांति ला दी है। आज कलाकार डिजिटल माध्यमों का उपयोग करके अपनी कला का प्रदर्शन कर रहे हैं। इंटरनेट ने कला को वैश्विक मंच प्रदान किया है, जिससे कलाकार अपनी कृतियों को दुनिया भर में प्रदर्शित कर सकते हैं।
  • डिजिटल आर्ट, एनिमेशन, और ग्राफिक डिजाइन जैसे नए कला रूपों का विकास हुआ है। इसके अलावा, सोशल मीडिया ने भी कला को जन-जन तक पहुँचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

कला के क्षेत्र में चुनौतियाँ

  • हालाँकि कला के क्षेत्र में काफी प्रगति हुई है, लेकिन आज भी कलाकारों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। वित्तीय अस्थिरता, कला के प्रति समाज का उपेक्षापूर्ण रवैया, और नवाचार के प्रति असहिष्णुता जैसी समस्याएँ आज भी कलाकारों के सामने हैं।
  • इसके अलावा, वैश्वीकरण के दौर में पारंपरिक कला रूपों को बचाए रखने की चुनौती भी सामने है।

निष्कर्ष

कला का क्षेत्र समय के साथ निरंतर विकसित और परिवर्तित होता रहा है। प्राचीन काल से लेकर आधुनिक और समकालीन युग तक कला ने समाज को नई दिशा दी है। बिहार बोर्ड कक्षा 8 सामाजिक विज्ञान इतिहास के अध्याय 11 में कला के इस परिवर्तन को विस्तार से समझाया गया है। यह अध्याय छात्रों को कला के विविध रूपों, उनके विकास और उनमें आए परिवर्तनों के बारे में जागरूक करता है।

Bihar Board Class 8 Social Science History Chapter 11 के इस नोट्स के माध्यम से छात्रों को कला के इस विकास और उसमें आए परिवर्तनों की गहन जानकारी प्राप्त होगी। यह समझना आवश्यक है कि कला केवल अतीत का विषय नहीं है, बल्कि यह हमारे वर्तमान और भविष्य का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। हमें कला के इन विविध रूपों का सम्मान करना चाहिए और उन्हें संजोकर रखना चाहिए, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ भी इस समृद्ध धरोहर का अनुभव कर सकें।

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